अक्सर लोग TDS (स्रोत पर कर कटौती) और TCS (स्रोत पर कर संग्रह) को लेकर दुविधा में रहते हैं। यह समझना जरूरी है कि ये दोनों क्या हैं और आयकर रिटर्न (Income Tax Return – ITR) फाइल करते समय आप इन्हें कैसे क्लेम कर सकते हैं।
क्या है TDS? (Tax Deducted at Source)
TDS का मतलब है ‘स्रोत पर कर कटौती’ (Tax Deducted at Source)। सरल भाषा में कहें तो, जब कोई व्यक्ति किसी और को कोई भुगतान करता है, जैसे कि वेतन (Salary), प्रोफेशनल फीस (Professional Fee), ब्रोकरेज (Brokerage), या किराया (Rent), तो उस कुल राशि में से टैक्स की राशि पहले ही काट ली जाती है। यह कटी हुई राशि, भुगतान करने वाले द्वारा सरकार के पास जमा कर दी जाती है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सरकार को टैक्स समय पर मिले और टैक्स चोरी रोकी जा सके।
क्या है TCS? (Tax Collected at Source)
वहीं, TCS का मतलब है ‘स्रोत पर कर संग्रह’ (Tax Collected at Source)। यह भी एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) है। TCS, किसी खास सामान या सेवा की बिक्री पर अतिरिक्त राशि के तौर पर लगाया जाता है। जैसे, कुछ विशेष वस्तुओं की बिक्री पर विक्रेता द्वारा कुल मूल्य में TCS जोड़कर बिल बनाया जाता है और फिर यह एकत्रित टैक्स राशि सरकार के पास जमा कर दी जाती है।
अगर TDS ज्यादा कट गया है तो क्या करें?
अगर आपका TDS आपकी वास्तविक टैक्स देयता से ज्यादा कट गया है, तो चिंता न करें! आप आयकर रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करते समय इसे क्लेम (Claim) कर सकते हैं। गैर-वेतन आमदनी, जैसे कि बैंक ब्याज, डिविडेंड या किराए पर कटे TDS के लिए आपको TDS सर्टिफिकेट (जैसे फॉर्म 16A) की जरूरत पड़ेगी।
खुशखबरी यह है कि अब आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर आपका TDS से जुड़ा डेटा पहले से ही भरा हुआ (pre-filled) मिलता है। आपको बस इसे अपने फॉर्म-16 (Form-16) (वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए) या फॉर्म 16A (गैर-वेतनभोगी आय के लिए) के साथ क्रॉस-चेक (Cross-verify) करना होगा।
ITR फाइलिंग का आसान तरीका: स्टेप-बाय-स्टेप समझें
- रजिस्टर या लॉग-इन करें: सबसे पहले आयकर ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाएं और रजिस्टर करें या अपने मौजूदा अकाउंट में लॉग-इन करें।
- ITR फाइलिंग शुरू करें: अपने डैशबोर्ड पर ‘ई-फाइल’ (E-File) मेन्यू पर जाएं और ड्रॉपडाउन से ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ (Income Tax Return) पर क्लिक करें। फिर ‘फाइल इनकम टैक्स रिटर्न’ (File Income Tax Return) पर क्लिक करके फाइलिंग प्रक्रिया शुरू करें।
- अपना स्टेटस चुनें: आप व्यक्ति (Individual), अविभाजित हिंदू परिवार (HUF) या जो भी स्टेटस आप पर लागू होता है, उसे चुनें।
- ऑटो-फिल्ड जानकारी जांचें: आपके नियोक्ता ने पहले से ही आपकी पैन (PAN) संख्या, आधार (Aadhaar), नाम, जन्मतिथि, संपर्क जानकारी, बैंक विवरण और वेतन की जानकारी सिस्टम में दे दी होगी, जो अपने आप भर जाएगी। इसे एक बार ध्यान से जांच लें और अगर कोई गलती हो तो उसे सुधार लें।
- सही जानकारी दें: यह सुनिश्चित करें कि आपने अपनी सभी आमदनी, छूट (Exemptions), कटौतियों (Deductions) और चुकाए गए टैक्स की सही जानकारी दी है।
- रिटर्न वेरिफिकेशन पूरा करें: ITR फाइल करने के 30 दिन के अंदर अपने रिटर्न का वेरिफिकेशन जरूर करें। इसके लिए आप आधार ओटीपी (Aadhaar OTP), इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (EVC) या नेट बैंकिंग (Net Banking) का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप फिजिकल कॉपी को सीपीसी बेंगलुरु (CPC Bengaluru) भेजकर भी वेरिफिकेशन करवा सकते हैं।
ITR फाइलिंग की तारीख बढ़ी और छोटे टैक्सपेयर्स के लिए खुशखबरी!
आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए ITR फाइल करने की अंतिम तारीख आगे बढ़ा दी है। अब ITR फाइलिंग के लिए 15 सितंबर 2025 तक का समय है, जबकि पहले यह 31 जुलाई 2025 थी।
इस बार छोटे टैक्सपेयर्स (Small Taxpayers) के लिए नियमों को आसान भी बनाया गया है। अब वे लोग जिनकी ₹1.25 लाख तक की लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) है (जैसे शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड से), वे भी ITR-1 या ITR-4 फॉर्म भर सकते हैं। पहले ऐसी आय वालों को अन्य और जटिल फॉर्म भरने पड़ते थे, जिससे उन्हें काफी सुविधा मिलेगी।
तो अब ITR फाइल करना और भी आसान हो गया है! सही जानकारी के साथ समय पर अपना रिटर्न फाइल करें और टैक्स संबंधी चिंताओं से मुक्त रहें।