Retirement Planning: भारत में जहाँ सरकारी नौकरियों में रिटायरमेंट (Retirement) के बाद पेंशन की सुविधा होती है, वहीं प्राइवेट सेक्टर (Private Sector) में अक्सर EPS (कर्मचारी पेंशन योजना) जैसे तरीके ही सहारा बनते हैं। लेकिन क्या यह काफी है? अक्सर बढ़ती महंगाई और बदलती लाइफस्टाइल के साथ पेंशन की रकम पर्याप्त नहीं होती।
इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप रिटायरमेंट के बाद आने वाले बड़े खर्चों को पूरा करने और एक आरामदायक जीवनशैली बनाए रखने के लिए समय रहते तैयारी शुरू कर दें। खासकर युवाओं के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि घूमने-फिरने या अन्य शौक पूरे करने के उत्साह में अक्सर वे भविष्य की चिंता को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
रिटायरमेंट प्लानिंग से पहले किन बातों का रखें ध्यान?
अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों पर गौर करना बेहद जरूरी है:
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कितना वक्त बाकी है? जिन लोगों के रिटायरमेंट में अभी लंबा समय है, वे अभी से थोड़ी-थोड़ी बचत करके एक अनुशासित वित्तीय आदत डाल सकते हैं। यह उन्हें अपनी जीवनशैली को इस तरह ढालने में मदद करेगा कि भविष्य की चिंता न रहे। वहीं, जिनकी नौकरी पूरी होने में कम समय बचा है, उन्हें कम अवधि में ज्यादा बचत करने पर ध्यान देना होगा।
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अभी आपका स्टेटस क्या है? अपनी मौजूदा जीवनशैली और खर्चों को समझना बेहद जरूरी है। खासकर करियर की शुरुआत में, बचत और अपने कुछ शौक पूरे करने के बीच एक सही संतुलन बनाना आना चाहिए।
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भविष्य की जरूरतें क्या हैं? एक परिवार कितना बड़ा हो सकता है, बच्चों की पढ़ाई या शादी जैसे संभावित बड़े खर्चों के अलावा, अचानक किसी स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति या किसी बड़े ट्रैवल प्लान जैसे अप्रत्याशित खर्चों के लिए भी तैयारी रखना जरूरी है।
कैसे करें रिटायरमेंट प्लानिंग? 5 आसान स्टेप्स!
जब आय का कोई तय जरिया न रह जाए, ऐसे भविष्य के लिए अपने खर्चे और जरूरतें पूरी करने के लिए अभी से रिटायरमेंट प्लानिंग (Retirement Planning) शुरू करना बहुत जरूरी है। यहाँ कुछ जरूरी बातें बताई गई हैं:
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कितनी बचत मुमकिन है? सबसे पहले अपनी मौजूदा आय में से जरूरी खर्चों को अलग करें। अपनी अल्पकालिक (short-term) जरूरतों को समझने के बाद ही यह तय करें कि भविष्य के लिए कितनी बचत की जा सकती है। आप अपने रिटायरमेंट अकाउंट में योगदान को बढ़ाकर भी इसका फायदा उठा सकते हैं। अगर नियोक्ता भी आपके बराबर राशि जमा करते हैं, तो आखिर में आपको ज्यादा फायदा हो सकता है।
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जितनी जल्दी हो सके शुरुआत करें! रिटायरमेंट की तैयारी के लिए जितनी जल्दी हो सके बचत शुरू कर देनी चाहिए। इससे न केवल आप अपनी जीवनशैली को ढाल सकते हैं, बल्कि जितना लंबा समय बचत को मिलता है, चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest) के कारण उतना ही अधिक फायदा मिलता है। इसके साथ ही आपको टैक्स में भी बचत का लाभ मिलता है।
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बीमा है जरूरी हिस्सा: बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य संबंधी नई-नई परेशानियां आने की संभावना रहती है। कुछ तो पहले से पता होती हैं, लेकिन कुछ अचानक आ सकती हैं। इसलिए, अपने रिटायरमेंट प्लान में एक विस्तृत हेल्थकेयर पॉलिसी (Comprehensive Healthcare Policy) या स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) को जरूर शामिल करें।
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टेक्नोलॉजी का फायदा उठाएं: हर महीने तय बचत के लिए ऑटोमेटेड डिडक्शन (Automated Deduction) चालू कर दें। इससे आप बिना सोचे-समझे होने वाले गैर-जरूरी खर्चों को कंट्रोल कर पाएंगे। इसके अलावा, अपने खर्चों को ट्रैक करके आप अपने बजट में से बचत के लिए अतिरिक्त गुंजाइश भी ढूंढ सकते हैं।
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डायवर्सिफिकेशन से जोखिम कम करें: आज बाजार में रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए कई योजनाएं और विकल्प मौजूद हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि आपके वित्तीय लक्ष्यों के हिसाब से कौन सा विकल्प सबसे अच्छा है। आपको यह भी रिसर्च करनी चाहिए कि किस विकल्प में जोखिम कम (Lower Risk) और रिटर्न ज्यादा (Higher Returns) है। जोखिम कम करने के लिए आप स्टॉक, मेटल, मनी मार्केट या रियल एस्टेट में मिला-जुलाकर निवेश कर सकते हैं, जिसे डायवर्सिफिकेशन (Diversification) कहते हैं।
रिटायरमेंट प्लानिंग में काम आ सकते हैं ये बेहतरीन विकल्प:
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नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS): NPS (National Pension System) रिटायरमेंट प्लानिंग का सबसे आसान टूल है। 18-70 साल के लोग इसमें निवेश कर सकते हैं। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें ₹2 लाख तक टैक्स की छूट (Tax Exemption) भी है। इसमें निवेशकों के पैसे अलग-अलग इक्विटी इन्वेस्टमेंट, कॉर्पोरेट और सरकारी बॉन्ड्स में लगाए जाते हैं, जिससे जोखिम और रिटर्न के बीच संतुलन बना रहता है।
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पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF): PPF (Public Provident Fund) रिटायरमेंट सेविंग्स के सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक है, जिस पर पुरानी कर व्यवस्था में टैक्स से छूट (Tax-Exempt) भी मिलती है। इसमें निवेश की न्यूनतम सीमा केवल ₹500 है, और हर वित्तीय वर्ष में अधिकतम ₹1.5 लाख का निवेश करना जरूरी होता है। इसे 15 साल बाद निकाला जा सकता है या 5 और साल के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है।
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ऐन्युटी प्लान और SIP: म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan – SIP) या कोई अन्य इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स इंस्ट्रुमेंट (Equity Linked Savings Instrument – ELSS) में ज्यादा रिटर्न की संभावना रहती है। हालांकि, इनमें जोखिम भी ज्यादा होता है। सोच-समझकर निवेश करने से भविष्य के लिए एक अच्छा कॉर्पस तैयार हो सकता है। इनमें निवेश करने से पहले पूरी जानकारी लेना बेहद जरूरी है।
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इंडेक्स फंड्स (Index Funds): लॉन्ग टर्म में अच्छे रिटर्न्स के लिए इंडेक्स फंड्स (Index Funds) भी एक अच्छा विकल्प हैं। उदाहरण के लिए, Nifty Next 50 ने 1996 से 19% का वार्षिक रिटर्न दिया है। इनमें SIP (Systematic Investment Plan) करना एक अच्छा विकल्प माना जाता है।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है। यहाँ दी गई किसी भी जानकारी को Upstox की ओर से निवेश या खर्च की सलाह नहीं माना जाना चाहिए। अपने वित्तीय मामलों से जुड़ा कोई भी फैसला करने से पहले खुद पूरी रिसर्च कर लें और वित्तीय सलाहकारों की राय जरूर लें।