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सैलरी आते ही खत्म हो जाते हैं पैसे, तो इस चमत्कारिक फॉर्मूला से खाता रहेगा भरा!

On: June 19, 2025 8:30 AM
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Planning for salary expenditure
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Planning for salary expenditure. आज के इस आर्थिक युग में हर वर्ग के नौकरीपेशा लोगों एक बड़ी समास्या होती है, हर महीने की सैलरी आते ही जरुरी खर्चों में खत्म हो जाती है। जिससे लोग महीने भर परेशान रहते है। लेकिन पहले से कुछ प्लानिंग करके घर परिवार के खर्चें को मेंनेज किया जाए तो लोगों को सबसे बड़ी टेंशन से राहत मिल सकती है। आज हम आप को इस खबर में ऐसे चमत्कारिक फॉर्मूला की बात कर रहे है। अगर आप ने 40-30-20-10 खास नियम से अपने बजट को बांट लिया तो बैंक खाते (Bank Account) में हर समय पैसे पड़े रहेगें।

फाइनेंशियल प्लानर ने बताया ये गजब फॉर्मुला

इस दिखावे के होड़ में लोग जरुरी औऱ गैर जरूरी चीजों को खरीदने में अंतर नहीं कर पाते और ईएमआई के बोझ में फंस जाते है। हर महीने के आने वाली सैलरी झट से खत्म हो जाती है। तो वहीं द रिचनेस अकेडमी के फाइनैंशयल प्लानर तारेश भाटिया के अनुसार देश के मध्यम और कम सैलरी वाले लोग इस तरह अपने जरुरी खर्चों और निवेश के लिए इस फॉर्मुले का प्रयोग कर सकते हैं। तारेश भाटिया ने इस फॉर्मुले को 40-30-20-10 नियम को बताया है। जिसे हम विस्तार से एक्सप्लेन कर रहे हैं।

घरेलू खर्चों के लिए इतना रखें बजट

देश में लोगों के घरेलू खर्चें अलग-अलग शहर में निर्भर करते है। यहां पर सबसे बड़ा फैक्टर मंहगाई का शामिल है। हालांकि अगर आप के घरेलू खर्चों के लिए पहले से सैलरी में बजट को रेशियों बना लिया तो बड़े आराम से महीना कट सकता है। आप अपने सैलरी का लगभग 40% हिस्सा घरेलू खर्चों के लिए रख सकते हैं। जिसमें बिजली, पानी, गैस, इंटरनेट के बिल और घर में किराने का सामान, राशन की जरूरी चीज़ें शामिल है। हालांकि यहां पर आप को ध्यान रखना होगा की है। परिवार से सदस्यों के हिबास से खर्चे बढ़ा सकते है।

30% लाइफस्टाइल खर्च के लिए रखें

जब लोग अपने नौकरी में अच्छी सैलरी पाने लगते है। तो वे लगाम खर्च हो जाते है। जिसमें लाइफस्टाइल खर्च अहम होता। क्योंकि यह एक ऐसा एक्सपेंस होता है। लोगों के व्यक्तिगत पसंद और आराम से जुड़ा होता है। जिसमें डेली घर से खाने का खर्च, ऑनलाइन शॉपिंग, नेटफ्लिक्स (मनोरंजन खर्च) और सप्ताह पर घुमने पर खर्च। यहां पर अपने आय पर 30% रख सकते है।

लोन औऱ सेविंग के लिए रखें 20% हिस्सा

समय के चलते जरुरी खर्चे बढ़ते रहते है। जिसमें कार लोन, एजुकेशन लोन और होम लोन होते है। हालांकि लोगों को समय के रहते सेविंग पर ध्यान देना चाहिए। सरकार ऐसी कई गजब के स्कीम में निवेश में करने पर आयकर में छूट देती है। आप परिवारिक कंडिशन के हिसाब से कर्ज और बचत के लिए आय का 20% हिस्सा सुनिश्चित कर सकते हैं।

अक्सर देखा जाता है, कि लोग कर्ज के चलते अपने उपर देनदारी का बोझ बढ़ा लेते है। यह गलती कभी-कभी बहुत भारी पड़ती है। यहां पर लिक्विड फंड या फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे डाल सकते हैं। जिससे जरुरत पड़ने पर स्मार्ट मनी काम में आए। ध्यान रहने की इमरजेंसी फंड के तौर पर एक बड़ी रकम जरुरत पड़ी सकती है। कभी-कभी आपदा, दुर्घटना होने पर बड़ी रकम की जरुरत होती है। हालांकि अगर आप पहले से बीमा ले रखा है तो कंपनी आप को क्लेम दे सकेगी।

चैरिटी और खुद के लिए रखें 10%

अब यहां पर एक अहम बात पर आ गए। क्योंकि लोगों के लिए यह खुद के लिए जरुरी और सामाजिक दायित्वों में एक है। इस ’40-30-20-10′ फॉर्मुले में कुल इनकम का 10% हिस्सा दान और खुद की देखभाल के लिए रख सकते है। आप सामाजिक कार्यों और निम्न वर्ग के उत्थान के लिए 5% हिस्सा चैरिटी या दान कर सकते हैं। जिससे जरूरतमंद रिश्तेदारों या गरीब माता पिता बच्चों की मदद हो सके। 5% हिस्सा खुद को मेंनटेंन करने के लिए जिसमें आध्यात्मिक एक्टीविटी,मानसिक संतुलन और आत्मसम्मान के खर्च कर सकते हैं।

कम सैलरी है को ये काम आएगें टिप्स

तो वही फाइनेंसियल प्लानर तारेश भाटिया बताते है, कि जरुरी नहीं है, कि हर किसी की आय ज्यादा हो, क्योंकि देश के टियर-1, टियर-2 और टियर-3 जैसे शहरों में अलग-अलग सैलरी मिलती है। जहां 1,00,000 रुपये तक आय में यह नियम खास तरह से काम सकते हैं। लेकिन 50,000 रुपये मासिक आय वाले लोग इसे 60 % घरेलू खर्च, 20ृ% लाइफस्टाइल खर्च 10% दान और खुद के लिए रख सकते है। तो वही मासिक सैलरी 20,000 रुपये होने पर 80% खर्च और 20% बचत का निमय अपना सकते हैं।

(डिस्क्लेमर: ये जानकारी एक फाइनेंसियल प्लानर से बातचीत पर आधारित है, जिससे यहा डिटेल्स सिर्फशैक्षिक उद्देश्य के लिए है। 

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